झारखंड की राजधानी रांची रेलवे स्टेशन पर सुविधाएँ बढ़ाये जाने के लिए ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सी.ए. महेन्द्र कुमार जी जैन-रांची ओर से ज्ञापांग सौंपा गया ।
ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सी.ए. महेन्द्र कुमार जी जैन-रांची ने दक्षिणी-पूर्व रेलवे कोलकाता की महाप्रबंधक से दिनांक 25/03/2022 को मुलाकत इस दौरान श्री महेन्द्र जी ने श्री सम्मेदशिखरजी पधारने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए रांची रेलवे स्टेशन पर जैन यात्रियों की सूविधा को बढावा देने पर जोर दिया साथ ही उन्हेने ट्रस्ट व पेषेनज बोर्ड के ओर से एक ज्ञापंग भी महाप्रबंधक को सौंपा। उन्हों ने अपने पत्र में कहा श्री सम्मेदषिखर जैनियों की महानतम् तीर्थस्थली है जहाँ 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरो ने निर्वाण प्राप्त किया है, जिनके पूजन अर्चन के लिये देष-विदेष से लगभग 25 लाख तीर्थ यात्री प्रति वर्ष आते हैं। आस-पास पासरनाथ जाने के लिए निकटतम् हवाई अड्डा रांची है। श्री सम्मेदशिखर (पारसनाथ) “जिला-गिरिडीह में स्थित” जैन धर्मावलम्बियों का सबसे बड़ा एवं पूजनीय तीर्थस्थल है। यह क्षेत्र झारखण्ड की राजधानी रांची के रेलवे स्टेषन से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर हैै, हवाई जहाज के माध्यम से अपनी यात्रा को सरल बनाने के लिए देश-विदेश के बड़े महानगरों से आने वाले तीर्थ यात्री अधिकतम् रांची ऐयरपोर्ट पर ही उतरते हैं, यह ऐयरपोर्ट रांची रेलवे स्टेशन से निकट है यह रेलवे स्टेषन सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्टेशन होने के बावजूद रेल विभाग द्वारा तीर्थ यात्री के सूविधा के लिए उपेक्षित रहा है।
इन सभी बतों के साथ साथ श्री जैन अपने पत्र में समस्त जैन समुदाय एवं अन्य यात्रियों की ओर से निवदेन अगल-अलग बिन्दों पर निवेदन भी की जो निम्नवत है:-
1. ट्रेन संख्या 12817, 20839, 18609, 18640 जो रांची से चल कर पारसनाथ स्टेशन को पार करते हुए बीना रूके अपने गनतव्य को जाती है उक्त सभी ट्रेनों का ठहराव पारसनाथ स्टेशन पर किया जाए, जिससे देश के अन्य महानगरों व विदेशो से रांची आये हुए तीर्थ यात्रियों की यात्रा सरल व सुविधाजनक हो सके।
2. वर्तमान समय में ट्रेन संख्या 15661 रांची-कामख्या एक्सप्रेस जो केवल सप्ताह में केवल एक दिन ही रांची स्टेशन से परिचालित होती है जो यात्रियों के अवशयकताओं को देखते हुए अपर्याप्त है, कोरोना काल के पूर्व यह ट्रेन सप्ताह में दो दिन रांची एवं कामख्या (गोवाहाटी) वया धनबाद चलती थी तथा रेलवे बजट में इस ट्रेन का परिचालन सप्ताह में तीन दिन घोषित किया गया था, यह एक मात्र ट्रेन है जो झारखण्ड की राजधानी को उत्तर-पूर्व राज्यों से जोड़ती है, यदि हावाई जाहाज की बात करे तो कोई भी सीधी उड़ान रांची से उत्तर-पूर्व राज्यों के लिए नहीं है जिस कारण ट्रेन या जहाज की सूविधा न होने के कारण सभी यात्रियों को रांची से कोलकाता जाना पड़ता है जिससे समय के साथ-साथ पैसे भी काफी खर्च होते है, इन सभी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है इस लिए मेरा आपसे निवेदन है की ट्रेन संख्या 15661 रांची-कमख्या एक्सप्रेस को सप्ताह में कम से कम तीन दिन परिचालित किया जाय।
3. यदि पर्यटकों की बात करें तो झारखण्ड की राजधानी रांची से देष के खुबसुरत शहर आगरा और जयपुर जाने के लिए ट्रेन संख्या 12973, 12817, 20839, 20407, 12453, 12825 का ठहराव टूंडला जंक्षन पर प्रारम्भ करें इससे लोगों का आगरा एवं जयपुर जाना टूंडला से आगरा की दूरी मात्र 20 किलोमिटर है तथा वहां से मथुरा एवं जयपुर जाने के लिए सुगम साधन उपलब्ध है, इस ठहराव के कारण इन सभी महत्पूर्ण ट्रेनों में यात्रियों की संख्या तो बढेगी ही साथ ही साथ रांची जैसे शहर के लोगों को देश इस खुबसुरत एवं धार्मिक शहरों में जाना-आना भी सरल व सुविधाजनक हो जायेगा जिससे पर्यटन को भी बढावा मिलेगा।
श्री महेन्द्र जैन ने कहा की इन सभी कार्य से रेलवे निश्चित रूप से समस्त भारतवर्षीय जैन समाज, शिखरजी की यात्रा करने वाले यात्रियों एवं पर्यटकों को अनुग्रहित करेंगी ही साथ ही साथ देष के विकास में तथा रेलवे की यात्रि सूविधाओं एवं आमदनी में वृद्धी होगी। ट्रस्ट के महामंत्री श्री राजकुमार जी अजमेरा- हजारीबाग इसके पूर्व कई मांग पत्र पारसनाथ स्टेशन के लिए रेलवे के अलग-अलग अधिकारियों को दे चूकें है जिससे रेलवे को कई मार्ग दर्शन भी प्राप्त हुई है, झारखण्ड की राजधानी रांची में तीर्थ यात्री को सूविधा के लिए ट्रस्ट की ओर से यह प्रथम प्रयास रहा है।
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