पारसनाथ पर्वत पर लगी आग को बुझाने के लिए वन विभाग की टीम ने संभाला मोर्चा।
20 तीर्थंकरों की मोक्ष भूमि शाश्वत तीर्थक्षेत्र यहां की रज-रज में है कल्याण कण-कण में विराजमान है जीवन का सार्थक अर्थ हजारों संतो की समाधि के यहां मिलते है प्रमाण ऐसे विश्व वंदनीय श्री सम्मेदशिखरजी के पर्वत पर लगातार आग लगने की घटना बेहद चिंतनीय है दरअसल पारसनाथ पर्वत वन्य जीव अभ्यारण (wildlife sanctuary) के अन्दर आने वाला क्षेत्र है जो कि कई वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, ग्रीष्म ऋतु में या ये कहे की पत्तझड़ के मौसम में यहां के जंगलों के पेड़ से पत्ते झड़ने लगते है जो पत्ते झड़ जाते है मौसम गरम होने से बहुत ज्यादा सूख जाते है किसी कारण से जब से पत्ते आग के संपर्क में आ जाते है तो बहुत तेजी से ये आग फैल जाती है जिसे काबु करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है।
श्री सम्मेदशिखरजी के आस-पास के कई स्थानीय समाजसेवी समूह के द्वारा आग को बुझाने की लगातार पिछले कई वर्षों से प्रयास किया जा रहा है परन्तु इस वर्ष काफी ज्यादा सूखे पत्ते गिरने से यह आग बेकाबू हो गई थी जो कई वर्ग किलोमीटर में फैल गई थी, श्री राजकुमार जैन अजमेरा के दिषा-निर्देष पर भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी एवं डीएफओ हजारीबाग, रैंजर गिरिडीह के अगुवाई में वन विभाग की टीम अग्निशमन के साथ इस आग को बुझाने के लिए जोर-शोर से प्रयास में जुट गई कड़ी मेहनत के बाद वर्तमान में आग पर लगभग कई वर्ग किलोमिटर तक काबू पा लिया गया है जिसके लिए वनविभाग की टीम, स्थानीय समूह जो आग को बुझाने में मद्द कर रहें है वे सभी धन्यवाद के पात्र है, वनविभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) लगतार श्री राजकुमार जैन अजमेरा के संपर्क में है और वस्तु स्थिति पर कड़ी नजर रख रहें हुए हैं।
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